राहुल स्कूल में रोज सी जांछी, उ भौत कोशिश करछी कि उ नैं सितो, पर लाख कोशिशों क बावजूद वीक आंखि म नीन तैर जांछी।
राहुल क कक्षा में सीतन मासाब कै भौत अखर छी, उ रोज राहुल कै कक्षा क भ्यार ठाड़ कर द्यी छी।
राहुल चुपचाप जाल और भ्यार ठाड़ि है जाल। वीक क कक्षा क नाण भ्यार- भितेर जाण तक वीकै चिढ़ौछी, उ दिवाल कै मुखड़ी कर बेर आपुण आंसु खड़ छी। वीक आंसु कै क्वै नैं द्यैखिछी।
अलीबेर देवलचौड़ क स्कूल में कक्षा ४ म राहुल क नौ लिखी गौ। नई स्कूल, नई माहौल, मलि बै पहाड़ जस दुःखयोनय शायद यौ ई कारण ल राहुल क कक्षा में क्वै दगड़ू नैं छी। नैं उ क्वै दगड़ खेलछी, और नैं क्वै संग बात- चीत करछी।
राहुल क कक्षा क मासाब निगुर- निपुड़ैंन मैंस छी, पर स्कूल क हेडमास्टनी भौत भलि सैंणी छी। उ भौत अनुशासन ल स्कूल चलौछी, और स्कूल क नाणा कै उ भलि- भलि चारि समझ छी।
स्कूल में आई नई च्यल कै रोज कक्षा क भ्यार ठाड़ द्यैखि बेर हेड मास्टरनी ज्यू ल चपड़ासि थै कवै बेर वी कै आपणी आफिस में बुला।
चपड़ासि ल कक्षा में ऐ बेर मासाब थै कौ, "मासाब जो च्यल रोज भ्यार बै ठाड़ि है रौं, वीकै हैड मास्टरनी ज्यू बुलौणी।"
मासाबूं ल राहुल कै बुला, और उ थै कुणी! "राहुल, मैं ल कतुक बार कौछी, कक्षा में झन सित, झन सित,,,, पर त्वेल म्येरी एक नैं सुणी!,,, अब देख! हेडमास्टरनी ज्यू ल बुलै है!,,,,अब त त्यर भगवानै मालिक छू,,,, जा,,, मिलबेर आ हेडमास्टरनी ज्यू है!,,,"
राहुल डरन- मरने चपड़ासि क पछिल बै बाट लागि गो, और आफिस में जाई बेर उ एक कुण म ठाडि है गो।
उ बखत मास्टरनी ज्यू कोई फाइल द्येखणै छी। राहुल कै द्यैख बेर कुणी, " सामणी ऐ बेर ठाड़ि हो च्यला, कै नौ छू त्यर?"
हेडमास्टरनी ज्यू बात सुणीबेर उ थ्वाड़ अघिन कै खिसकौ और कामणी आवाज में कुणौ, "राहुल।"
"अरे,, मैं कै सुणाई नैं दिणैं, थ्वाड़ और आघिन कै आ, !"
राहुल माठु- माठ कै हेड मास्टरनी ज्यू क मेज क पास ऐ बेर ठाड़ है गो,,, हेडमास्टरनी ज्यू ल गौर ल वीक मुखड़ी कै द्यैखी, वीक आंखि में भौतै डर, थकाई साफ द्यिखीण छी, और मुखणी में पीड़ साफ झलकन छी।
हेड मास्टरनी ज्यू फिर कुणी, अब बता कै नौ छू त्यर?
"राहुल"
"त्यर बाज्यू नौ?"
"पान सिंह।"
"त्यर ईजा नौ?"
" कमला।"
"त्यर घर कां छूं?"
"म्यर घर?
पैली अल्म्वाड़ छी, पर अब मैं अपुण काक- काखी दगड़ भाबर देवलचौड़ रौनूं।"
"अल्म्वाड़! इतुक भलि- भलि जाग छोड़ि बेर भाबर क लू खाण क ल्यी किलै आईं भयै तू?"
हैड मास्टरनी ज्यू बात सुन बेर राहुल क मुखड़ी सुदै स्येति पढ़ि गै।
और वीक आंख डबडबै आईं।
"बता,,, अल्म्वाड़ जस स्वर्ग छोडि बेर यौ भाबर क घाम खन किलै आईं भयै तू?"
" को,,को,,,को,,"
"को?,,,कै? को? "
बड़ि ताकत लगै बेर राहुल क गाउ बै आवाज निकली,
"को,,,कोरोना,,, में म्यर इजा- बाज्यू द्विनों आकाश में जाई बेर तार बन गई।,,,उ मैं कै, म्येरी बैणी कै यूं दुणी में यकैलै छोड़ गई।,,,, म्येरी,, बैणी कै माकोट म्यर मामा ल्यी गई,,, और,, मैं कै म्यर काका- काखी ल्यी आई,,,"
फिर तो उ अपुन डाढ़ कै रोकि नै पै,,,,वीक डाढ़ में इतुक पीड़ छी, कि वीक डाढ़ सुणि बेर ढुंग क लै आंसू निकल जाण। वीक डाढ़ कै द्यैखिबेर हेडमास्टरनी ज्यू ल आपणी डाढ़ बड़ मुश्किल ल थामि। उं आपणी कुर्सी है उठी और राहुल क पुठ मुसारन लागि।,,,
राहुल डाढ़ मारने कुण लागौ ,, "भैंजी, मैं कै अपुण इजा- बाज्यू और बैणी क भौत निराई लागि गै, मैं आपणी बैणी कै कसिक द्यैखू? उ है कसिक मिलूं?"
"भैंजी, हमर इज- बाज्यू हमूं कै भौ तै भल माणि छी,,,, पर! अब हमूं कै क्वै भल नैं माणन।,,, मैं कसिक रौं अपुन इजा- बाज्यू बिना,,,, कसिक रौं आपणी बैणी बिना ,,,,,,, भैंजी, मामा- मामि त खेत म जाणि हुन्याल! तब म्यर बैणी कै क्वै द्येखौ हुन्यौल? क्वै उकै खवौ हुन्यौल?,,, म्येरी बेणी त भौते नानि छू।,,,,,हम भै- बैणी कभी मिलूल?,,,"
"भैंजी, जब रात में तार निकलनी त मैं घंटों ईजा- बाज्यू थै बात करनूं, कभै उन्हा थैं शिकैत करनूं, त कभै डाढ़ मांरनू, कभै आशिर्वाद मांगनू त शक्ति मांगनू।"
"भैंजी, तुम जादू क कोई छड़ी घुमे बेर म्येरी परिवार कै ढूंढ बेर लै द्यौ।,,, कम से कम म्येरी बैणी कै त ल्यैई द्यौ।"
यौ कुण- कुणै राहुल ल ड़ाढा- डाढ़ मचै द्यी। राहुल क डाढ़ और उ क सवालों क हेड मास्टरनी ज्यू पास क्वै जवाब नैं छी।
हेडमास्टरनी ज्यू ल राहुल कै कसिबेर अंगवाव भेड़ि द्यी। और उनरी आंखों बै लै आंसू क तड़तड़ाट है पड़ी।,,, राहुल क ख्वार मुसारते हुए उ सोचण लागि,,, "सिबौ लै, मासाब कै कभै लै यौ भव्व क पीड़ क एहसास नैं है हुन्यौल?,,, इतुक नाण भव्व पर कुदरत क इतुक ठुलि मार,,, हे! द्याप्तौ,, यौ भव्व ल्यी तुमुल अपुण आंख किलै बुजि द्यी।,,,,यूं नाणा क काका -काखी, मामा- मामी आपुण फर्ज त निभौण लागि री!,,, पर कै!,,,, आपुण यौ फर्ज कै उ इमानदारी ल निभौणी या फिर यूं नाणा कै उं ब्वौझ समझनी?,,,"
"यौ समाज क और इनर अपणा क थ्वाड़ लै सांचि माया इन नाणा में पड़ जाणी त यूं नाणा क जीवन सपड़ जाण।"
अलछिन कोरोना किलै आछै तू!,,,बिन कसूरै एक हंसणी- खेलणी परिवार कै त्वील उज्याड़ बेर रख द्यी।
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट,
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश।
मूल निवासी- हल्द्वानी नैनीताल,
उत्तराखंड।