मैं नैं क्वै गाड़ छूं,
नैं क्वै गद्यार छूं।
मैं त बस एक गागरी क,
ठंड- मिठ पाणी छूं।।
ख्वार में गागरी धरबेर,
कोसों दूर हिटबेर।
मंजू क नौंल बै ल्याई हुई,
मैं उई ठंड- मिठ पाणी छूं।।
नौंल बै मंजू बाट लागी,
बाट में मिलौ एक जोगी।
कुणौ, इजू पाणी पिवै दै,
मैं कै छू भौतै तीस लागी।।
गागरी बिसै, घुन में धरि,
जोगी ल लै आपुण आंचुली छोड़ि।
पाणी पिवाई जोगी कै,
पै मंजू अघिन कै बाट लागि।।
जसिकै मंजू आघिन बढ़ि,
सामणी द्येखिणी घस्यारि औणी।
पाणी द्यैखी बेर उ लै कुणी,
पीवै द्यिला दीदि कै हमूंकै पाणी??
मुलमुली हंसी मंजू हंसणी,
किलै नै, बिसै दियौ घा गुढैयी।
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