चैत- बैसाख बीति गौ ईजा,
मैं स्कूल अब! कब जौंल।
याद आणी मैं कै खिमिया- मोहना,
मैं पढ़न अब! कब जौंल।।
यौ द्येख! म्यर बस्त मैं हुणी,
रोज एकै बात पुछै छू।
कापि- किताब, रबर-पेंसिल कै,
कब! बटोव बेर रखन छू।।
अलमारि में धरि ड्रेस लै,
म्यर कान में यौ कुणै।
अलमारि में पड़ि- पड़ि बेर,
मैं कै औस्याण औरैं।।
ज्वात, जुराब लै कभै बै,
उदैखि बेर कुण म पड़ि छैं।
जब लै मैं खेलनू भितर फना,
मैं कै धाल लगौनी छैं।।
जेठ क महैण लागि गौ ईजा,
अब छुट्टि ल लै शुरू है जाण छू।
तु ई बतै दै मैं कै जरा,
अब कब! स्कूल जाण छू।।
च्यलै क बात सुणि ईजा ल,
च्यल कै काखि में भैठाई द्यी।
मायाजाव ल ख्वार मुसारी,
फिर च्यल कै समझे द्यी।।
थ्वाड़ दिनों क बात छू च्यला,
यौ टैम लै एक दिन कट जाल।।
तुम सब स्कूल जरूर जाला,
उ टैम जल्दी लौट बेर आल।।
स्वरचित: मंजू बिष्ट,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
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