सौ-सौ बार पैलाग भारत भूमि,
मैं त्यर वीर जवान छूं।
मातृ भूमि में माया पड़ी गे,
मैं मातृ भूमि पै कुर्बान छूं।।
म्यर देशक लहरौणी तिरंग,
म्येरी आन और शान छू।
मातृभूमि की रक्षा करन,
यौई म्येरी पहचाण छू।।
केसरि रंग ल मनखियों क क्वाठ में,
देश क ल्यी माया द्यी जगै द्यी।
स्यत रंग ल देश भर कै,
अमन चैन क पाठ पढ़ै द्यी।।
हरि रंग ल खुशी क बौछार करबेर,
म्यर देश कै संपन्न कर कर द्यी।
तिरंग क बीच क चक्र ल सबूं कै,
धर्म और कर्तव्य क पाठ पढ़ै द्यी।।
म्यर यौ जीवन हे मातृभूमि,
तुमरी अमानत छू।
मातृभूमि में कुर्बान है जूं मैं,
बस इतुकै म्येरी इच्छा छू ।।
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
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