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Saturday 17 December 2022

कुमाऊनी गीत: दगड़ियो शुभ घड़ी ऐगे आज।

मुखड़ा- दगड़ियो, हे, दगड़ियों,,, हैगीं म्यर पिल हाथ।

मैं नाचुल, मैं नाचुल, हम नाचुल सारि, सारि रात।।२

दगड़ियो, हे, दगड़ियों,,, शुभ घड़ि ऐरै आज।

मैं नाचुल,,, मैं नाचुल, हम नाचुल सारि, सारि रात।।२


अंतरा- बंबई बै, बंबई बै काक म्यरा ऐई गईं।

दिल्ली बै दिल्ली बै माम लै ऐई गईं ।।

ऐ गईं, म्यरा सबै न्यौतार।

मैं नाचुल,मैं नाचुल, सब नाचुल सारि, सारि रात।।


अंतरा-  मैंहदी,,,मैंहदी रचणै हाथन में।

धक- धक मच रै क्वाठ न में ।।

आंखों मा स्वीण सजी छैं हजार।

मै नाचुल, मैं नाचुल सब नाचुल सारि, सारि, रात।।


अंतरा- मटुक म्यरा, मुकुट बधौल भोल ख्वर माथ।

बंधेली  बंधैली डोरी सुवा की साथ।। 

छाजेली छाजेली बाज गाजा दगैड़ी बारात।

मैं नाचुल, मैं नाचुल, सब नाचुल सारि, सारि रात।।


अंतरा- पल- पला यौ घड़ी लागणी मैं हुणी साल।

सुवा त्वैकै कसिकै बतौ आपणी क्वाठे की हाल।।

डीजे में डीजे में मचूल आज धमाल 

मैं नाचुल, मैं नाचुल, हम नाचुल सारि, सारि रात।।


दगड़ियो, हे, दगड़ियों,,, शुभ घड़ि ऐरै आज।

मैं नाचुल,,, मैं नाचुल, हम नाचुल सारि, सारि रात।।२


स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश। 

मूल निवासी: हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड।

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