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Wednesday 23 November 2022

बाल कविता: उजड्डी


पढ़- पढ़ कर थक गए टिंकू भाई।
चूहे ने पेट में धमाल मचाई।।
टिंकू को दादी की याद है आई।
दादी से की थी पांच रुपए की कमाई।।
पांच रुपए देखकर जी ललचाया।
आहा चटपटा कुरकुरा! याद है आया।। 
उसने खुरापाती दिमाग दौड़ाया। 
खुद को धम्म से बेड के नीचे लुढ़काया।।
धम्म की आवाज सुन मम्मी दौड़ी। 
मम्मी के पीछे, चाची- ताई दौड़ी।।
अरे। बेचारा गिर गया नीचे।
लिया गोदी में और ममता से सींचे।।
ताई ने टिंकू की गाल थपथपाई।
जा बेटा खेल ले चाची ने दी दुहाई।।
टिंकू जी की लॉटरी लग गई।
बल्ले- बल्ले नाचे टिंकू भाई।।
संग दादी के वो निकल गया।
पांच रुपए का कुरकुरा लिया।।
कुरकुरा देखकर मुस्कान है छाई।
शरारती टिंकू ने ली अंगड़ाई।।

स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट, 
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।

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