जा रे, जा रे चंदा, आपणी देश मा।
बैठी रै म्यर सुवा, घुंघटे की आड़ मा।।
त्येरी नज़र पड़ेली, सुवा की मुखड़ी मा।
ज्यों नज़र पड़ेली सुवा की मुखड़ी मा।।
जली भुनी जालै, आपणी देश मा।
तू,तो जली भुनी जालै, आपणी देश मा।।
(१) कपाला में बिंदी चमकने चमाचम।..२
नाक में नथुली, दमकने दमादम।।२..
जब द्यैखलै चंदा, सुवा कति बाना।
ज्यों द्यैखलै चंदा, सुवा म्येरी बाना।।
जली भुनी जालै, आपणी देश मा।
तू,तो जली- भुनी जालै,आपणी देश मा।।
जा रे,जा रे चंदा, आपणी देश मा।
बैठी रै म्यर सुवा, घुंघटे की आड़ मा।।
(२) आंखों में काजला, लाली छू ओंठ मा। २..
सुवा देखी बढ़ गे, दिले की धड़कना।। म्येरी, २..
जब द्यैखलै चंदा, सुवा कै हंसणा।
ज्यों द्यैखलै चंदा, मुलमुलौ हंसणा।।
जली- भुनी- जालै, आपणी देश मा।
तू,तो जली- भुनी जालै, आपणी देश मा।।
जा रे,,,, जा रे चंदा, आपणी देश मा,,,,
बैठी रै म्यर सुवा, घुंघटे' की आड़ मा,,,,
(३) खन-खन, खन- खन चूड़ी, खनकणी हाथ मा। २..
छम- छम, छम- छम झांवर, बाजणी खुटा मा।। २..
जब सुणलै चंदा, झांवर की रुनझुना।
ज्यों सुणलै चंदा झांवर की रुनझुना।।
जलि- भुनी जाले, आपणी देश मा।
तू, तो जलि- भुनी जाले आपणी देश मा।।
जा रे, जा रे चंदा, आपणी देश मा।
बैठी रै म्यर सुवा, घुंघटे की आड़ मा।।२.
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट।
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
मूल निवासी- हल्द्वानी, नैनीताल। उत्तराखंड।
सर्वाधिकार सुरक्षित।
Very nice👌
ReplyDeleteBeautiful geet
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteNice geet
ReplyDeleteThank you 😊
Deleteबहुत सुंदर और मीठा गीत।
ReplyDeleteThank you 😊
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