Followers

Thursday, 8 July 2021

कुमाऊनी लोकगीत: पहाड़ो' को ठंडो पाणी

पहाड़ो' को ठंडो पाणी, सुणी कति मीठी बाणी,,,,,२

छोड़नी नी लागेणी,,,,, हो,,,,,छोड़नी नी लागेणी,,,,,२


पहाड़ो में हिमालय वां देव रौनी,,,२

देव, देव वास करनी, देव भूमि रौनी,,,२


पहाड़ो' को ठंडो पाणी, सुणी कति मीठी बाणी,,,,,

छोड़नी नी लागेणी,,,, हो,,,,,छोड़नी नी लागेणी,,,,,


कति कौछी शंभू नाथ,कति नन्दा माई,,,,२

कति कौछी दुर्गा मैय्या,कति महाकाली,,,,२


पहाड़ो' को ठंडो पाणी, सुणी कति मीठी बाणी,,,,,

छोड़नी नी लागेणी, हो,,,,,छोड़नी नी लागेणी,,,,,


चौमास'क हल्यो- पल्यो पाणी को बछार,,,,२

आई गैछ ग्रीष्म ऋतु फूलों की बहार,,,,२


पहाड़ो' को ठंडो पाणी, सुणी कति मीठी बाणी,,,,,

छोड़नी नी लागेणी,,,, हो,,,,,छोड़नी नी लागेणी,,,,,


गीत: कबूतरी देवी।

(उत्तराखंड कुमाऊनी लोकगीत, संग्रह- १३)


6 comments:

कुमाऊनी भजन: माता रानी

  मुखड़ा- ऊंच- नीचा डांड्यू कै करी पार। मैं आयूं मैया त्यर द्वार मा।। दर्शन तू दी जा इक बार। ऐजा मैया बैठि शेर मा।।   कोरस- ऐजा मैया बैठि शे...