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Saturday, 10 July 2021

भीना कौतिक जानूं: कुमाऊनी प्रचलित लोकगीत, संग्रह।

भीना कौतिक'क जानूं, भीना कौतिक'क जानूं,,,,,,

भीना कौतिक जानूं,,,,,हिटो कौतिक जानूं,,,,


फाटीय म्येरी यौ पजामा, यौ म्येरी यौ पजामा, 

ना बाबा म्येरी ना,,,,मैं न्हां कौतिक जानूं,,,,,,


घाघरी- पिछोडी और आंगड़ी बनाला,,,,,

कान का कनफूला, और नथुली बनाला,,,,,

धामेली, ओ,,, भीना धामेली,,,,,

मैं'त भल माणनूं, हिटो कौतिक जानूं,,,,,,


भीना कौतिक'क जानूं, भीना कौतिक'क जानूं,,,,,,,

भीना कौतिक जानूं,,,,,हिटो कौतिक जानूं,,,,


म्येर छै फटी हाला, म्येर ह्वै रयी बेहाला,,,,,,,

ना बाबा म्येरी ना,,,,मैं न्हां कौतिक जानूं,,,,भानू मैं न्हां कौतिक जानूं,,,,,


भीना कौतिक'क जानूं, भीना कौतिक'क जानूं,,,,,

भीना कौतिक जानूं,,,,,हिटो कौतिक जानूं,,,,


हाथ की चूड़ी और बिंदुली मंगे दै,,,,,

गवा'क गोलबंद, मैं हूंणी बणै दै,,,,,,

हांसुली, ओ भीना हांसुली मैं'त भल मानूं....हिटो कौतिक जानूं...


भीना कौतिक'क जानूं, भीना कौतिक'क जानूं,,,,,

भीना कौतिक जानूं,,,,,हिटो कौतिक जानूं,,,,


फाटीय म्येरी यौ पजामा, म्येरी यौ पजामा, 

ना बाबा म्येरी ना.....मैं न्हां कौतिक जानूं.....

रंगीली- चंगीली साईं म्येरी, बुड़ ह्यै गैयी भीना....

होरि- उकाइन में म्येरी साई, फुटी जानि घुना,


( उत्तराखंड कुमाऊनी प्रचलित लोकगीत, संग्रह- १४)


1 comment:

  1. मैंने आपकी लिखी सभी रचनाएं पढ ली है बहुत सुंदर पुराने लोकगीतों का संकलन किया है आपने

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