Followers

Monday, 5 July 2021

संस्मरण: नि:स्वार्थ रिस्त सबै ह्वै भल।

बेली नाणा' क बाज्यू जनम दिन छि। ब्याखुली कै घर' क काम- धाम निपटैबेर मैं सोचन लागि रौछी, कि यौ लाॅकडाउन में नाना' क बाज्यू' क जनम दिन कसिक मनाई जावो। तबै फोन' कि घंटी बजी। फोन परूली' क इज' क छी। 

परूली एक गरीब घरै कि नाणी छू। परूली'क बाज्यू मसीड़ी बिमारी कारणै' ल खाट में पड़ी रै्नी। परूली'क इजा और वीक द्वी दिदि मजुरी करबेर घर' क खर्च चलौनी। परूली पढ़न-लिखण में भौतै होशियार नानी छू। परूली'क पढन- लिखण में लगन देखी बेर कक्षा ३ बै वीक पढ़न-लिखण'क जिम्म मैं'ल आपुण ख्वर में ल्ही लीछ। आज परूली कक्षा ५ में न्है गैछ।

फोन में परूली ईज कुणी, "चेली सरकार बै जतुक लै राशन मिल रौछी सबै खत्म हैगो। द्वी दिण बै घर में नाना' ल खाण' नीं खै राख। तुम थ्वाड़ मदद कर द्याला त तुमरी बड़ी कृपा ह्वैली।
" नाण द्वी दिन बै भूकै छैं", यो सुणबेर मैके भौते कइ-कई लागि गै। मैं मनै- मन द्यातौ थै प्रार्थना करण लागि गयूं, कि हे भगवान यो कोरोना महामारी' ल भ्याराक सबै दैशों में आपुन आतंक फैलै राखि छू। अब यौ महामारी हमर देश में आपुन खुट जमौन लागि गे। हमर देश में गरीबी भौतै सकर छू, यस हाल में गरीब मनखी भूखमरी कै मर जाल‌। हे भगवान अब तुमी हम सबूं पर आपुन छत्र-छाया करौ।
फिर मैं सरासर उठ्यू, नाणा' क बाज्यू पास गयूं; उनूं थैं बोल्यूं! "सुणों हौ तुमर जन्मदिन दिन कै मैं आपनी हिसाब' ल मणै लि्यू"!
नाना' क बाज्यू कुणी, "लाॅकडाउन चलरौ, यौ साल रैन द्यौ, जन्मदिन दिन आघिन साल मणै ल्यूंल।
मैं फिर बोल्यू, "तुम होई त बोला नै"!
नाणा क बाज्यू कुणी, "ठीक छू बाबा, तुमन कै जस भल लागौ उस करौ"!
मैं सरासर रस्याखन गयूं; संदूक खोली, बैली रत्तै नाना' क बाज्यू राशन-पानी लै रछी, मैंल आदुक राशन निकालबेर एक झ्वाल में भर दी, और मैं नाणा' क बाज्यू पार गयूं, उनर हाथों में झ्वाल कै दी बेर बोल्यू, यो "झ्वाल कै परूली'क इज कै दी द्यौ।
नाना'क बाज्यू झ्वाल कै देखिबेर बोली, भाग्यवान! कै भर रखा यौ झ्वाल.... मैं उनेरि बात कै काटते हुए बोल्यू " कै नी थै हौ, थ्वाड भौत राशन पानी छ। परूली'क इज'क फोन ऐ रौछी कि उनर नाना'ल द्वी दिन बै खानु नीं खै रखै। मै'ल सोचि तुमर यौ साल' क जन्मदिन कै मैं अपुन तरीक'ल मनौनूं। "एक ज़रुरत मंद'क ज़रुरत पूरी करनू"।
मैं परूली'क इजा कै फोन कर दिनू,  तुम मास्क पैरी बेर भ्यार कै निकलिया।
नाणा' क बाज्यू थोड़ी देर म्येरी मुुखड़ी कै देखते रैयी, फिर हंसते हुए  मास्क पहनी, और झ्वाल कै पकडबेर भ्यार कै न्हैगीं।
आपुन यौ नानुनान काम'ल म्येरी क्वाठ में भौतै शांति पड़ी।

स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट, 
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
मूल निवासी: हल्द्वानी, नैनीताल,
उत्तराखंड।
प्रकाशित

2 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete

कुमाऊनी भजन: माता रानी

  मुखड़ा- ऊंच- नीचा डांड्यू कै करी पार। मैं आयूं मैया त्यर द्वार मा।। दर्शन तू दी जा इक बार। ऐजा मैया बैठि शेर मा।।   कोरस- ऐजा मैया बैठि शे...