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Wednesday 21 July 2021

कुमाऊनी लोकगीत: गोविंदा ओ गोविंदा माठु माठु गाड़ी चला

 गोविंदा ओ गोविंदा माठु- माठु गाड़ी चला माठु- माठु गाड़ी,,,२

मैं कै लागैं गाड़ी ददा कोसी में खौंल रैत ददा कोसी में पिऊला पाणी,,२


हो,,,, टेड़ी- मेड़ी यौ रोड़ ददा, टेड़ी मेड़ी यौ रोड़ा,,,

हो,,,,कदुक भल लागनि ददा, यौ बुरूंशी' क बोटा,,,,

बुरूंशी का बोट ददा, बुरूंशी' क बोटा,,,,


गोविंदा ओ गोविंदा, माठु- माठु गाड़ी चला, माठु- माठु गाड़ी,,,

मैं कै लागैं गाड़ी ददा, कोसी में खौंल रैत ददा, कोसी में पिऊला पाणी,,


 हो,,, सुरी- सुरी हाऊ चली रै, यौ फागुन'क महैणा,,,

 हो,,,, ग्यून में बालड़ी लागि, फूली रैछौ दैणा,,,,

फूली रै छौ दैण ददा, फूली रैछौ दैणा,,,


गोविंदा ओ गोविंदा, माठु- माठु गाड़ी चला, माठु- माठु गाड़ी,,,

मैं कै लागैं गाड़ी ददा, कोसी में खौंल रैत ददा, कोसी में पिऊला पाणी


हो,,,, दारू पी बेर गाड़ी चलौणी आजकल ड्राइवरा,,,,

हो,,, तुम जन पिया ददा बरबाद हुनी घरा,,,,

तुम झन पिया ददा, बोजी द्यैखेली मार खाला,,,

बोजी'क हाथे'ल मारा,,,,


गोविंदा ओ गोविंदा, माठु- माठु गाड़ी चला, माठु- माठु गाड़ी,,,

मैं कै लागैं गाड़ी ददा, कोसी में खौंल रैत ददा, कोसी में पिऊला पाणी,,,


 (उत्तराखंड कुमाऊनी प्रचलित लोकगीत संग्रह-२१)



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