गोपी आठ साल'क एक नान छू। उ बार- बार आपणी ईज थै कुण लागि रौछी; "ईजा मैं' कैं भ्यार बै गड़गड़ाट जैसि सुनाई दिणै। मैं' कै लागणौ, भ्यार आंंगण में कोई छू?,,,,, ईजा! ओ ईजा! ,,, एक बार द्वार खोलि बैर भ्यार कै द्यैख नै"!,,,,,
आज रत्तै बै झुण-मुण द्यौ लागि रौछी, और ठंड लै भौत ह्वऐ रौछी। गोपी'क ईज कमला गोरू- बछां'क और खाणु-पिण'क काम- धाम निपटै बेर टैम पर खातड़़ी में पसरी गै।,,,,,,,
यो ठंड़ में ह्वीक खातड़ी बै भ्यार निकलण'क बिल्कुल'लै मन न्हैं रौछी। लेकिन गोपी'क बार- बार कुण पर बड़ राम- राम'ल ह्वील द्वार खोलि, और भ्यार आंगण में आपणी नज़र घुमैं।,,,,,,, आंगण में एक कुकुर'क प्वौथ द्यौ में भीगण लागि रौछी; और जाड़'ल कांपणौं छी। और उ प्वौथ आपु कै द्यौ ह्वै बचूंण'क ली कोई कुण ढूढ़णौ छी,,,,,,,प्वौथ में नज़र पड़ते ही गोपी उ प्वौथ'क तरफ भागौ।,,,,,, गोपी कै भ्यार कै जाण देखि बेर कमला कुणी! " गोपी रुक !,,,, कांहुणी जाण छै च्यला?,,, भ्यार भौत द्यौ हैरौ,,,, थ्वाड़ लै भीज जालै त, जर ऐ जाल!",,,,,,
गोपी आपुण ईजा'क आंचव पकड़ बेर कुण लागौ! "ईजा द्यैख नै! उ कुकुर'क प्वौथ में लै' त प्राण छैं, यो द्यौ में भीज बेर उ प्वौथ जाड़'ल कांपण लागि रौ और कुकाट करणौ,,,, ईजा उ प्वौथ बोलि न्है सकणैं
,,,, पर उ हमूं थै मदद मांगणौं।,,,,, ईजा उ प्वौथ कै द्यैख बेर मैं'के भौते कइ-कइ लागणैं।",,,,, और यो कुण- कुणै गोपी खुद लै जोर- जोर'ल डाढ़ मारण लागौ।,,,,,
गोपी'क डढ़ाडाढ़ द्यैखी बेर कमला कुणी! "तू थ्वाड़ रूक और आपुण डाढ़ बंद कर, मैं छात लिबेर उंनू"।,,,,,,,,
कमला जसिकै छात ल्ही बैैर औने छी, गोपी'ल दबंगों कै छात पकड़ी और भ्यार कै दौडौ, और सरासर प्वौथ कै उठै बेर आपुण घर'क भीतेर ल्ही आ।,,,, गोपी'ल उ कुकुर'क प्वौथ कै कपड़ै'ल भलि- भलि कै पोछि-पाछि बेर सुखै दी।,,,, तब तक कमला लै एक भाण में कुन-कुनौ दूध बणै बेर लै गौछी ,,,, गोपी'ल बड़ खुशी ह्वै बेर उ प्वौथ कै दूध पिवा,,,,,, और फिर एक छापरी में गुदैड़ी बिछै बेर उ प्वौथ कै आराम'ल बिठै दे।,,,,,
कमला जसिकै छात ल्ही बैैर औने छी, गोपी'ल दबंगों कै छात पकड़ी और भ्यार कै दौडौ, और सरासर प्वौथ कै उठै बेर आपुण घर'क भीतेर ल्ही आ।,,,, गोपी'ल उ कुकुर'क प्वौथ कै कपड़ै'ल भलि- भलि कै पोछि-पाछि बेर सुखै दी।,,,, तब तक कमला लै एक भाण में कुन-कुनौ दूध बणै बेर लै गौछी ,,,, गोपी'ल बड़ खुशी ह्वै बेर उ प्वौथ कै दूध पिवा,,,,,, और फिर एक छापरी में गुदैड़ी बिछै बेर उ प्वौथ कै आराम'ल बिठै दे।,,,,,
गोपी'क मन में उ कुकुर'क प्वौथ'क ली इतुक सकर दया भाव, पीड़ और माय जाव द्येख बेर कमला'ल गोपी' कै आपणी क्वोठी ह्वै लगै ल्ही।
स्वरचित: मंजू बिष्ट,
गाजियाबाद,
उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश।
Wah bahut sundar
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबढ़िया कहानी
ReplyDelete