बार (१२) घंटे की ड्यूटी म्येरी, तनख्वा ढ़ाई हजारा,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
बाज्यू कौछी पढ़ा- लिखा, भोल द्वी रवाट कमै खाला,,,
नौकरी' त मिलण न्हीं थैं, छ्वट- म्वट रोजगार कर ल्यला,,,,
स्कूल' क बाट छोड़ी बेर, मैं घुमैं छी बजारा,,,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
बार घंटे की ड्यूटी म्येरी, तनख्वा ढ़ाई हजारा,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
रात- दिन काम करनूं, ठुल सैप 'की डांट खनूं,,,,
कभै एक टैम, कभै द्वी टैम, कै दिना भूखै स्यी जनूं,,,,,
आज याद औनी मैं कै, बचपन' क नखारा,,,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
बार घंटे की ड्यूटी म्येरी, तनख्वा ढ़ाई हजारा,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
कभी घरै' की, कभी ड्यूटी' की फिकर लागै, न्हीं मिलैणी छुट्टी,,,
पराई भेंट नौकरी म्येरी, न्हैं मालूम कब जैली छूटी,,,,
अब तौ ईजू घर ऐ जौं छौ, गोरु चरुल बकरा,,,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
बार घंटे की ड्यूटी म्येरी, तनख्वा ढ़ाई हजारा,,,
यो पापी परदेश में ईजू, न्हीं हुणौं गुज़ारा,,,,
उत्तराखंड प्रचलित कुमाऊनी लोकगीत संग्रह- २६
Nice Geet
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