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Monday, 28 June 2021

धौली ,गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा। कुमाऊनी प्रचलित झोड़ा -२

 धौली ,गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा.....

ओहो,,, धौली, गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा.....

आहा,,,,खोलि लै माता खोल भवानी, धार में किवाड़ा......

आहा,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी, धार में किवाड़ा......

ओहो,,,,, फूल चड़ूल, पाति चड़ूल, त्यर दरबारा....

ओहो,,,,धूप बाती भेंट ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा.....

आहा,,,,धौली ,गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा.....

आहा,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी, धार में किवाड़ा......

ओहो,,,,, ढोल नगाड़ ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा

ओहो,,,,,जागरी द्यूल धूनी रमूल, त्यर दरबारा.....

आहो,,,,धौली ,गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा.....

आहा,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी, धार में किवाड़ा......

आहा,,,,आस लगैबेर आई रैयूं, मैं त्यर दरबारा....

आहा,,,,,तेरी जैजै कार माता, सुनिए पुकारा...

ओहो,,,,धौली ,गंगा, भागीरथी को, कै भल रेवाड़ा.....

ओहो,,,,खोलि लै माता खोल भवानी, धार में किवाड़ा......


(उत्तराखंड कुमाऊनी प्रचलित लोकगीत, संग्रह।- ६)


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