खोलि दै माता खोल भवानी धरम किवाड़ा......
ओहो,,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी धरम किवाड़ा.......
ओहो,,,धौली, गंगा, भागीरथी कौ, कै भल रेवाड़ा...
आहो,,,,धौली, गंगा, भागीरथी कौ, कै भल रेवाड़ा.....
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा....
ओहो,,,,पान- सुपारी नर्याव ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा.......
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा.......
ओहो,,,धूप- बाती, भेंट ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा......
ओहो,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी धरम किवाड़ा......
ओहो,,,,,,धौली, गंगा, भागीरथी कौ, कै भल रेवाड़ा.....
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा ......
ओहो,,,,द्वी जौया बाकार ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा.....
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा.......
ओहो,,,,द्वी ज्वड़ा निशाण ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा.......
ओहो,,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी धरम किवाड़ा.......
ओहो,,,,,धौली, गंगा, भागीरथी कौ, कै भल रेवाड़ा......
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा.......
ओहो,,,,,चांदी कौ दियौड़ ल्यै रैयूं, त्यर दरबारा....
कै लै रै छै भेंट पखावा, कै खोलूं दरबारा.......
ओहो,,,,,,सोने को छत्तर ल्यै रैयूं ,त्यर दरबारा......
ओहो,,,,,,खोलि दै माता खोल भवानी धरम किवाड़ा.......
ओहो,,,,,,धौली, गंगा, भागीरथी कौ, कै भल रेवाड़ा.....
(उत्तराखंड कुमाऊनी प्रचलित लोकगीत, संग्रह।- ५)
सुंदर झोड़ा चांचरी
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