उठ जा मेरा च्येला आंखों कै खोलि लै,,,,
ओ,,,,,उठ जा मेरा च्येला आंखों कै खोलि लै।,,,,
मैं लै रैयूं पाणी मुखै कै धोई लै,,,,,
मैं लै रैयूं पाणी मुखै कै धोई लै।।,,,,,
रात बीति गै छ कमल खिलि गौ।,,,,,
कमल फूल मलि बै भंवर रिटि गौ।,,,,,
ओ,,,रात बीति गै छ कमल खिलि गौ।,,,,,
कमल फूल मलि बै भंवर रिटि गौ।।,,,,,
जाग-जगा पेड़ों में चांड़'क चुचाटा।,,,,
ओ,,,,जाग-जगा पेड़ों में चांड़'क चुचाटा।,,,
उठ जा मेरा च्येला ह्वै गैछ उज्यावा,,,
उठ जा मेरा च्येला ह्वै गैछ उज्यावा।।,,,,,
उठ जा मेरा चेला आंखों कै खोलि लै।,,,,,
मैं लै रैयूं पाणी मुखै कै धोई लै।।,,,,,,
कै भलि लालिमा छै रैछ आकाशा,,,,
पिल- पिलि परछाईं पाणी में पड़ गै छा।,,,,,,
ओ,,,,,, कै भलि लालिमा छै रैछ आकाशा,,,,,
पिल- पिलि परछाईं पाणी में पड़ गै छा।।,,,,,,
कै भल लागणौ च्यला रत्तै ब्याणा।,,,,
ओ,,,,,कै भल लागणौ च्यला रत्तै ब्याणा।,,,,,,
भुर- भूरू उज्याव ह्वैगौ भ्यार- भ्ही फणा।।,,,,,,
न्हैं करौ बर्बाद भल-भल बखता,,,,,,,
ओ,,,,,,न्हैं करौ बर्बाद भल- भल बखता।,,,,,
उठ जा मेरा च्येला ह्वै गैछ उज्यावा,,,,
उठ जा मेरा च्येला ह्वै गैछ उज्यावा।।,,,,,
(कुमाऊनी लोकगीत, संकलन।- ३)
सुंदर कविता
ReplyDeleteक्या यह अनुदित कविता है??
ReplyDeleteउठो लाल अब आंखें खोलो की?
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