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Saturday, 9 May 2020

कोरोनावायरस'क आतंक: कविता

२०१९ माघ' क महैण।
पैद ह्वै रछै वुहान में।।
कोरोनावायरस नाम पड़ी छि्य।
झूंस जस तू दिखींण च्याण में।।
विषैल बणबेर यौ दुणी में।
जाणि क्यै सोचि बैर आई रछै।।
मनखी'क सहार ल्यी बेर।
मनखियों कै तू मारण छै।।
पैली खत्म करी वुहान नगर कै ।
फिर मारि फटक भ्यार कै।।
लाखों मनखी बिमार कर दी त्वैल।
महामारी बनबेर, संसार में।।
ना देखी त्वैल अमीर-गरीब।
उज्याड़ी सबू'क घर- कुड़ी कै।।
त्यर खुट पड़ते ही भारत में।
नेतृत्व संभाली मोदी ज्यू लै।।
पाठ पढ़ाई संयम'क सबुकै।
भली'क समझाई मनखियों कै।।
लाॅकडाउन एक उपाई छू।
महामारी'ल बच्यूण कै।।
कर्मवीरों'ल आपुण ज्याण लगै दी।
कोरोना कै भजौंण में।।
ताई- थाई बजायी, फूल बरसाई।
कर्मवीरों'क सम्मान में।।
लाॅकडाउन में सारी दुणी छू।
लागि री कोरोना भजौंण में।।

सर्वाधिकार सुरक्षित।
स्वरचित: मंजू बिष्ट;
गाजियाबाद; उत्तर प्रदेश।
मूल निवासी: हल्द्वानी; नैनीताल।
उत्तराखंड।।

2 comments:

  1. बहुत खूब।

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  2. सुंदर रचना।

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