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Wednesday, 20 May 2020

हमूं कैं बुलौणीं पहाड़ा: गीत

सुंण लै, सूंणीं लै अनीता, सुंण, हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा।२
निराई लागीगे छा, हिट बैंणां आपणीं पहाड़ा।।२

भीमताला, सात ताला, और नौंकुची ताला,
ताल मा बतख तैरणी, और तैरणी नौका।
हिसालू, किल्माड़, खुमानि क, कैसि छै रे बहारा।।
हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा...ओ बैंणां।
हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा, कै भल छाजिरौ पहाड़ा।।

सुंण लै, सूंणीं लै अनीता, सुंण, हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा।
निराई लागीगे छा, हिट बैंणां आपणीं पहाड़ा।।

नैनीताले की नैना देवी, हरिद्वारे की गंगा,
अल्मोड़ा का चितई- गोलू, धारी की मैया।
छाया- दाया सबैं देवों की, हमेरी पहाड़ा।।
हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा...ओ बैंणां।
हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा, म्येंरो सजीलो पहाड़ा।।

सुंण लै, सूंणीं लै अनीता, सुंण, हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा।
निराई लागीगे छा, हिट बैंणां आपणीं पहाड़ा।।

बद्रीनाथा, केदारनाथा, और अमरनाथा,
संत, देवी, देव रौनी, धन्य हमर भागा।
चारों धामा घुमि औंनूं, टेकि औंनूं माथा।। 
गंगोत्री, यमुनोत्री...ओ बैणा।
गंगोत्री, यमुनोत्री, की डुबकी करेली उद्धारा।।

सुंण लै, सूणीं लै अनीता, सुंण, हमूं कैं बुलौंणीं पहाड़ा।
निराई लागीगे छा, हिट बैंणां आपणीं पहाड़ा।।

स्वरचित: मंजू बिष्ट;
गाजियाबाद; उत्तर प्रदेश।
मूल निवासी: (हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड)।
सर्वाधिकार सुरक्षित।

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